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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस : 29 अप्रैल
भगवान की आराधना है नृत्य

कब से हुई शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मनाने का उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरुकता फैले। साथ ही सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराना था। सन 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। विद्यालयों में बच्चों द्वारा नृत्य पर कई निबंध व चित्र भी बनाए गए। 2007 में नृत्य को बच्चों को समर्पित किया गया।

नृत्य वेद की उत्पत्ति
कहा जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरत मुनि के सौ पुत्रों ने किया।

कथकली
कथकली नृत्य 17 वीं शताब्दी में केरल राज्य से आया। इस नृत्य में आकर्षक वेशभूषा, इशारों व शारीरिक थिरकन से पूरी एक कहानी को दर्शाया जाता है। इस नृत्य में कलाकार का गहरे रंग का श्रृंगार किया जाता है, जिससे उसके चेहरे की अभिव्यक्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके।

मोहिनीअट्टम
मोहिनीअट्टम नृत्य कलाकार का भगवान के प्रति अपने प्यार व समर्पण को दर्शाता है। इसमें नृत्यांगना सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद सा़ड़ी पहनकर नृत्य करती है, साथ ही गहने भी काफी भारी-भरकम पहने जाते हैं। इसमें सादा श्रृंगार किया जाता है।

ओडिसी
उ़ड़ीसा राज्य का यह प्रमुख नृत्य भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आराधना व प्रेम दर्शाने वाला है। इस नृत्य में सिर, छाती व श्रोणि का स्वतंत्र आंदोलन होता है। भुवनेश्वर स्थित उदयगिरि की पहा़ड़‍ियों में इसकी छवि दिखती है। इस नृत्य की कलाकृतियाँ उड़ीसा में बने भगवान जगन्नाथ के मंदिर पुरी व सूर्य मंदिर कोणार्क पर बनी हुई हैं।

कथक
इस नृत्य की उत्पत्ति उत्तरप्रदेश से की गई, जिसमें राधाकृष्ण की नटवरी शैली को प्रदर्शित किया जाता है। कथक का नाम संस्कृत शब्द कहानी व कथार्थ से प्राप्त होता है। मुगलराज आने के बाद जब यह नृत्य मुस्लिम दरबार में किया जाने लगा तो इस नृत्य पर मनोरंजन हावी हो गया।

भरतनाट्यम
यह शास्त्रीय नृत्य तमिलनाडु राज्य का है। पुराने समय में मुख्यतः मंदिरों में नृत्यांगनाओं द्वारा इस नृत्य को किया जाता था। जिन्हें देवदासी कहा जाता था। इस पारंपरिक नृत्य को दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है। यह पारंपरिक नृत्य पूरे विश्व में लोकप्रिय माना जाता है।

कुचिपुड़ी
आंध्रप्रदेश राज्य के इस नृत्य को भगवान मेला नटकम नाम से भी जाना जाता है। इस नृत्य में गीत, चरित्र की मनोदशा एक नाटक से शुरू होती है। इसमें खासतौर से कर्नाटक संगीत का उपयोग किया जाता है। साथ में ही वायलिन, मृदंगम, बांसुरी की संगत होती है। कलाकारों द्वारा पहने गए गहने 'बेरुगू' बहुत हल्के लक़ड़ी के बने होते हैं।


मणिपुरी
मणिपुरी राज्य का यह नृत्य शास्त्रीय नृत्यरूपों में से एक है। इस नृत्य की शैली को जोगाई कहा जाता है। प्राचीन समय में इस नृत्य को सूर्य के चारों ओर घूमने वाले ग्रहों की संज्ञा दी गई है। एक समय जब भगवान कृष्ण, राधा व गोपियाँ रासलीला कर रहे थे तो भगवान शिव ने वहाँ किसी के भी जाने पर रोक लगा दी थी, लेकिन माँ पार्वती द्वारा इच्छा जाहिर करने पर भगवान शिव ने मणिपुर में यह नृत्य करवाया।

युवाओं का कहना है
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर सृजन व अरविंद ने बताया कि जितना आनंद नृत्य करने में आता है, उतना ही आनंद नृत्य देखने में आता है। कला क्षेत्र में यह एक विशिष्ट विधा है, जिसे नृत्य दिवस के रूप में मनाना चाहिए। वहीं गौरव व सोनू ने बताया कि नृत्य करने से दिल को सुकून मिलता है, जो कि शारीरिक व मानसिक रूप से बहुत जरूरी है तथा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

क्या कहते हैं कलाकार
हमारे देश में नृत्य से संबंधित प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस जरूरत है तो बुलंद हौसलों व आत्मविश्वास की। फिर सफलता के आसमान में उड़ने से कोई रोक नहीं सकता। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने से प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है।
गरिमा सिंह तोमर
भरतनाट्यम नृत्यांगना

हमारे लिए नृत्य संकटमोचन की तरह है। जिसकी साधना से हमारे बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं। नृत्यकला हमारी संस्कृति की देन है। नृत्य करने से आत्मिक शांति का अनुभव होता है।
भगवानदास माणिक
कथक नर्तक

अपने शौक व पेशे में कथक नृत्य को अपनाकर मुझे बहुत सुकून मिलता है। चूँकि वैदिक काल से ही नृत्य को भगवत तुल्य समझा जाता है, जिसकी आराधना भगवान की आराधना के बराबर है।
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अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस प्रतीक चिह्न
विवरण यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया।
तिथि 29 अप्रैल
शुरुआत 29 अप्रैल, 1982
उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना।
संबंधित लेख नृत्य कला, भरतनाट्यम, कथकली, कथक, ओडिसी, मोहिनीअट्टम, कुची पुडी
अन्य जानकारी एक महान् रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस (अंग्रेज़ी: International Dance Day) प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान् रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फैले। साथ ही सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराना था। सन 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। विद्यालयों में बच्चों द्वारा नृत्य पर कई निबंध व चित्र भी बनाए गए। 2007 में नृत्य को बच्चों को समर्पित किया गया।
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International Dance Day

International Dance Day is a global celebration of dance, created by the Dance Committee of the International Theatre Institute (ITI), the main partner for the performing arts of UNESCO. The event takes place every year on 29th April, the anniversary of the birth of Jean-Georges Noverre (1727–1810), the creator of modern ballet. The day strives to encourage participation and education in dance through events and festivals held on the date all over the world. UNESCO formally recognize ITI to be the creators and organizers of the event.
International Dance Day
Observed by
All UN Member States
Date
April 29
Next time
29 April 2019
Frequency
Annual
About
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Every year, since its creation in 1982, an outstanding dance personality is selected to write a message for International Dance Day. ITI also create a flagship event in a selected host city, at which there are dance performances, educational workshops, humanitarian projects and speeches made by ambassadors, dignitaries, dance personalities and the selected Message Author for that year.

The day is a celebration day for those who can see the value and importance of the art form dance, and acts as a wake-up-call for governments, politicians and institutions which have not yet recognised its value to the people.
Event
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To mark International Dance Day each year, on the 29 April, the International Theatre Institute invites its members along with dancers, choreographers, dance students and enthusiasts to join them in a Gala Celebration.

The Gala Celebration takes place in a chosen host city decided on by the Executive Council of the International Theatre Institute – for instance in 2017 it was held in Shanghai, China, and in 2018 it will be held in Havana, Cuba.

The programme of the Gala Event can vary, but usually consists of top-quality dance performances from around the world, student performances, keynote speeches, and a recital of the Message for that year’s event read, in person, by that years selected message author.

In Shanghai 2017 for instance, the event became a three-day celebration with greater emphasis on education through dance workshops and presentations led by an international cast of dance experts. The evenings were reserved for performances, the finale of which was the Gala Celebration. The Shanghai event also had a humanitarian aspect, with much of its focus being on celebrating the achievements of disabled dancers and encouraging disabled children to dance.

Beyond the Gala itself, ITI Centres across the globe are encouraged to mark the 29th April in their own country through special educational initiatives, humanitarian drives, dance performances and festivals.
Message Authors
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To help publicise International Dance Day each year the International Theatre Institute selects an outstanding personality from the world of dance to be the Message Author for the event. In the message, it is hoped that the author can underline the relevance and power of dance. Past authors have included Trisha Brown, Alicia Alonso, and Merce Cunningham.

As 2018 marked the 70th Anniversary of ITI, 5 Message Authors were selected for the 2018 event, one from each of the 5 UNESCO Regions. The 5 authors were; Georgette GEBARA (Lebanon, Arab Countries), Salia SANOU (Burkina Faso, Africa), Marianela BOAN (Cuba, The Americas), Willy TSAO (China, Asia-Pacific) and Ohad NAHARIN (Israel, Europe).

List of past Message Authors:
Year Message Author(s) Nationality
2017 Trisha Brown USA
2016 Lemi Ponifasio Samoa & New Zealand
2015 Israel Galván Spanish
2014 Mourad Merzouki French
2013 Lin Hwai-min Chinese Taipei
2012 Sidi Larbi Cherkaoui Belgium
2011 Anne Teresa De Keersmaeker Belgium
2010 Julio Bocca Argentina
2009 Akram Khan (dancer) United Kingdom
2008 Gladys Agulhas South Africa
2007 Sasha Waltz Germany
2006 Norodom Sihamoni Cambodia
2005 Miyako Yoshida Japan
2004 Stephen Page Australia
2003 Mats Ek Sweden
2002 Katherine Dunham United States
2001 William Forsythe (choreographer) United States
2000 Alicia Alonso, Jiří Kylián & Cyrielle Lecueur Cuba, Russia & France
1999 Mahmoud Reda Egypt
1998 Kazuo Ohno Japan
1997 Maurice Béjart France
1996 Maya Plisetskaya Russia
1995 Murray Lewis United States
1994 Dai Ailian China & Trinidad and Tobago
1993 Maguy Marin France
1992 Germaine Acogny Benin and Senegal
1991 Hans van Manen Netherlands
1990 Merce Cunningham United States
1989 Doris Laine Finland
1988 Robin Howard United Kingdom
1987 Dance Committee of ITI International
1986 Chetna Jalan India
1985 Robert Joffrey United States
1984 Yury Grigorovich Russia
1983 No Message Author N/A
1982 Henrik Neubauer Slovenia

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