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सुचेता कृपलानी

सुचेता कृपलानी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री

सुचेता कृपलानी (जन्म सुचेता मजूमदार) (२५ जून,१९०८ - १ दिसम्बर, १९७४) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज‘ज थीं। ये उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनीं और भारत की प्रथम महिला मुख्य मंत्री थीं।
सुचेता कृपलानी
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सुचेता कृपलानी
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री
पद बहाल
२ अक्टूबर १९६३ – १४ मार्च १९६७
पूर्वा धिकारी
चंद्रभानु गुप्त
उत्तरा धिकारी
चंद्रभानु गुप्त
जन्म
२५ जून १९०८
अंबाला, हरियाणा
मृत्यु
१ दिसम्बर १९७४
राजनीतिक दल
INC

स्वतंत्रता आंदोलन में श्रीमती सुचेता कृपलानी के योगदान को भी हमेशा याद किया जाएगा। १९०८ में जन्मी सुचेता जी की शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई थी। आजादी के आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सजा हुई। १९४६ में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। १९५८ से १९६० तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव थी। १९६३ से १९६७ तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। 1 दिसम्बर १९७४ को उनका निधन हो गया। अपने शोक संदेश में श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा कि "सुचेता जी ऐसे दुर्लभ साहस और चरित्र की महिला थीं, जिनसे भारतीय महिलाओं को सम्मान मिलता है।"

सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्य मंत्री थीं। ये बंटवारे की त्रासदी में महात्मा गांधी के बेहद करीब रहीं। सुचेता कृपलानी उन चंद महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने बापू के करीब रहकर देश की आजादी की नींव रखी। वह नोवाखली यात्रा में बापू के साथ थीं। वर्ष 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने से पहले वह लगातार दो बार लोकसभा के लिए चुनी गई। सुचेता दिल की कोमल तो थीं, लेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल की नहीं, दिमाग की सुनती थीं। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी, लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुई, जब उनके रुख में नरमी आई। जबकि सुचेता के पति आचार्य कृपलानी खुद समाजवादी थे।
श्रीमती सुचेता कृपालानी

पूर्व मुख्यमंत्री , उत्तर प्रदेश
जन्म पंजाब, जून, 1908।
शिक्षा एम0ए0
कार्यक्षेत्र राजनीति, समाज सेवा एवं शिक्षा।
शिक्षक एक सफल एवं योग्य अध्यापिका रहीं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रवक्ता थीं।
राजनीति

    वर्ष 1948 में प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्या बनी।
    वर्ष 1950-52 में प्रोवीजनल लोक सभा की सदस्या।
    वर्ष 1952, 1957 एवं 1967 में लोक सभा की सदस्या निर्वाचित।
    दिनांक 12 दिसम्बर,1960 से दिनांक 01 अक्टूबर, 1963 तक श्री चन्द्र भानु गुप्त सरकार में मंत्री।
    दिनांक 4 मई,1961 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद् की सदस्या।
    वर्ष 1962 में उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्या।
    दिनांक 2 अक्टूबर,1963 से 13 मार्च, 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।
    वर्ष 1938 में स्वतन्त्रता संग्राम में अग्रणीय कार्य किया।
    वर्ष 1940 और 1944 में कांग्रेस आन्दोलनों में गिरफ्तार।
    ''भारत छोड़ो'' आन्दोलन में गुप्त रूप से दीर्घ काल तक कार्य किया।
    वर्ष 1951 से 1956 तक किसान मजदूर प्रजा पार्टी तथा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में कार्य किया।
    वर्ष 1946 में नोआखाली (पूर्व बंगाल) के दंगों में पीड़ितों की सहायता तथा बचाव का कार्य किया।
    कांगेस के सहायता विभाग की सेक्रेटरी की हैसियत से भारत के विभाजन के समय शरणार्थियों के पुनर्वासन का कार्य किया।
    ट्रेड यूनियनों की अध्यक्षा तथा इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस की दिल्ली शाखा की सभापति।
    कस्तूरबा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की संगठन सचिव और गांधी स्मारक निधि की उपसभापति।
    दिल्ली विश्वविद्यालय की सीनेट तथा मीरेण्डा हाउस व लेडी श्रीराम कालेज की गवर्निंग कौंसिलों की सदस्या।
    नव हिन्द एजूकेशन सोसाइटी की अध्यक्षा।

विदेश यात्रा वर्ष 1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय प्रतिनिधि मंडल की सदस्या होकर अमेरिका गयीं।

वर्ष 1954 तथा 1957 में संसदीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर तुर्किस्तान गयीं।

बैंकाक में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में आयोजित सभा में भाग लिया।
निधन दिनांक 1 दिसम्बर, 1974 को नई दिल्ली में देहावसान हो गया।
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सुचेता कृपलानी 

पूरा नाम सुचेता कृपलानी
अन्य नाम सुचेता मज़ूमदार
जन्म 25 जून, 1908
जन्म भूमि अम्बाला, हरियाणा
मृत्यु 1 दिसंबर, 1974
पति/पत्नी जे. बी. कृपलानी
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद उत्तर प्रदेश की चौथी मुख्यमंत्री
कार्य काल 2 अक्तूबर, 1963 – 13 मार्च, 1967
शिक्षा बी.ए, एम.ए.
विद्यालय पंजाब विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
अन्य जानकारी 1948 से 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव रहीं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इतिहास की प्राध्यापिका भी रहीं।

सुचेता कृपलानी अथवा 'सुचेता मज़ूमदार' (अंग्रेज़ी: Sucheta Kriplani, जन्म- 25 जून, 1908, अम्बाला; मृत्यु- 1 दिसंबर, 1974) प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं। ये उत्तर प्रदेश की चौथी और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं।
जीवन परिचय

सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून, 1908 को भारत के हरियाणा राज्य के अम्बाला शहर में हुआ। उनकी शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई थी। 1963 से 1967 तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। वे बंटवारे की त्रासदी में महात्मा गांधी के बेहद क़रीब रहीं। सुचेता कृपलानी उन चंद महिलाओं में शामिल थीं, जिन्होंने बापू के क़रीब रहकर देश की आज़ादी की नींव रखी। वह नोवाखली यात्रा में बापू के साथ थीं। वर्ष 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने से पहले वह लगातार दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। सुचेता दिल की कोमल तो थीं, लेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल की नहीं, दिमाग की सुनती थीं। उनके मुख्यमंत्री काल के दौरान राज्य के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी, लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुईं, जब उनके रुख़ में नरमी आई। जबकि सुचेता के पति आचार्य कृपलानी खुद समाजवादी थे। आज़ादी के आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सज़ा हुई। 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गईं। 1948 से 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव थीं।
मजबूत इच्छाशक्ति और जुझारूपन की मिसाल

भारत छोड़ो आंदोलन में सुचेता कृपलानी ने लड़कियों को ड्रिल और लाठी चलाना सिखाया। नोआखली के दंगा पीड़ित इलाकों में गांधी जी के साथ चलते हुए पीड़ित महिलाओं की मदद की। 15 अगस्त, 1947 को संविधान सभा में वन्देमातरम् गाया। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ वापस लेने पर मजबूर किया। वे पहले साम्यवाद से प्रभावित हुईं और फिर पूरी तरह गांधीवादी हो गईं। उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की जिंदगी के ये पहलू उन्हें ऐसी महिला की पहचान देते हैं, जिसमें अपनत्व और जुझारूपन कूट-कूट कर भरा था। एक शख्सीयत कई रूप- आज इतने गुणों वाले राजनेता शायद ही मिलें। भारत छोड़ो आंदोलन में जब सारे पुरुष नेता जेल चले गए तो सुचेता कृपलानी ने अलग रास्ते पर चलने का फैसला किया। ‘बाकियों की तरह मैं भी जेल चली गई तो आंदोलन को आगे कौन बढ़ाएगा।’ वह भूमिगत हो गईं। उस दौरान उन्होंने कांग्रेस का महिला विभाग बनाया और पुलिस से छुपते-छुपाते दो साल तक आंदोलन भी चलाया। इसके लिए अंडरग्राउण्ड वालंटियर फोर्स बनाई। लड़कियों को ड्रिल, लाठी चलाना, प्राथमिक चिकित्सा और संकट में घिर जाने पर आत्मरक्षा के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी। राजनीतिक कैदियों के परिवार को राहत देने का जिम्मा भी उठाती रहीं। दंगों के समय महिलाओं को राहत पहुंचाने, चीन हमले के बाद भारत आए तिब्बती शरणार्थियों के पुनर्वास या फिर किसी से भी मिलने पर उसका दुख-दर्द पूछकर उसका हल तलाशने की कोशिश हमेशा रहती।
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Sucheta Kriplani

Sucheta Kriplani (née Mazumdar, 25 June 1908[2] – 1 December 1974[3][4]) was an Indian freedom fighter and politician. She was India's first woman Chief Minister, serving as the head of the Uttar Pradesh government from 1963 to 1967.

Sucheta Kriplani
4th Chief Minister of Uttar Pradesh
In office
2 October 1963 – 13 March 1967
Preceded by
Chandra Bhanu Gupta
Succeeded by
Chandra Bhanu Gupta
Personal details
Born
25 June 1908
Ambala, Punjab, British India
Died
1 December 1974 (aged 66)
New Delhi, India
Political party
INC
Spouse(s)
Acharya Kriplani
Early life: 

She was born in Ambala, Punjab (now in Haryana) to a Bengali Brahmo family. She studied at Indraprastha College and Punjab University before becoming a Professor of Constitutional History at Banaras Hindu University. In 1936, she married Acharya Kriplani, a prominent figure of the Indian National Congress, who was twenty years her senior. The marriage was opposed by both families, as well as by Gandhi himself, although he eventually relented.
Freedom movement and independence: 

Like her contemporaries Aruna Asaf Ali and Usha Mehta, she came to the forefront during the Quit India Movement. She later worked closely with Mahatma Gandhi during the Partition riots. She accompanied him to Noakhali in 1946. She was one of the few women who were elected to the Constituent Assembly and was part of the subcommittee that drafted the Indian Constitution. She became a part of the subcommittee that laid down the charter for the constitution of India. On 14 August 1947, she sang Vande Mataram in the Independence Session of the Constituent Assembly a few minutes before Nehru delivered his famous "Tryst with Destiny" speech. She was also the founder of the All India Mahilla Congress, established in 1940.
Post-independence: 

After independence, she remained involved with politics. For the first Lok Sabha elections in 1952, she contested from New Delhi on a KMPP ticket: she had joined the short-lived party founded by her husband the year before. She defeated the Congress candidate Manmohini Sahgal. Five years later, she was reelected from the same constituency, but this time as the Congress candidate. She was elected one last time to the Lok Sabha in 1967, from Gonda constituency in Uttar Pradesh.

Meanwhile, she had also become a member of the Uttar Pradesh Legislative Assembly. From 1960 to 1963, she served as Minister of Labour, Community Development and Industry in the UP government. In October 1963, she became the Chief Minister of Uttar Pradesh, the first woman to hold that position in any Indian state. The highlight of her tenure was the firm handling of a state employees strike. This first-ever strike by the state employees continued for 62 days. She relented only when the employees' leaders agreed to compromise. Kriplani kept her reputation as a firm administrator by refusing their demand for a pay hike.

She retired from politics in 1971 and remained in seclusion till her death in 1974. 

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