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स्टॅचू ऑफ युनिटी
स्टॅच्यू ऑफ युनिटी (मराठी: एकतेचा पुतळा) हे भारतीय स्वातंत्र्य चळवळीचे नेते वल्लभभाई पटेल यांना समर्पित स्मारक आहे, हे गुजरातच्या राजपीपळा शहरा जवळ नर्मदा धरणाजवळील साधू बेटावर स्थित आहे. हे स्मारक २०,००० मी२ क्षेत्रात आहे आणि १२ किमी२ आकाराच्या कृत्रिम तलावाने घेरलेले आहे. १८२ मीटर (५९७ फूट) उंचीची ही जगातील सर्वात उंच मूर्ती आहे.
ऑक्टोबर २०१४ मध्ये, या प्रकल्पाची संरचना, बांधकाम आणि देखभाल यासाठी २९८९ कोटी रुपयांचा करार लार्सन अँड टुब्रो यांच्याशी केला गेला. याचे बांधकाम ३१ ऑक्टोबर २०१४ पासून सुरू झाले आणि मध्य-ऑक्टोबर २०१८ मध्ये पूर्ण झाले.
भारतीय मूर्तिकार राम व्ही. सुतार यांनी ही संरचना (डिझाइन) केले होते आणि पटेलांच्या जयंतीच्या दिवशी ३१ ऑक्टोबर २०१८ रोजी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी या स्मारकाचे उद्घाटन केले.
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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है, जो भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
framrless
एकता की मूर्ति
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थित है गुजरात
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
निर्माण स्थल की गुजरात राज्य में अवस्थिति
निर्देशांक
21°50′16″N 73°43′08″E / 21.83778°N 73.71889°E
स्थिति
साधू बेट, सरदार सरोवर बांध के निकट, गरुड़ेश्वर बांध, नर्मदा जिला, गुजरात, भारत
अभिकल्पना
राम सुतार
प्रकार
मूर्ति
सामग्री
इस्पात साँचे, प्रबलित कंक्रीट, कांस्य का लेप
ऊँचाई
मूर्ति: 182 मीटर (597 फीट)
आधार सहित: 240 मीटर (790 फीट)
निर्माण आरंभ
अक्टूबर 31, 2013; 5 वर्ष पहले
समर्पित
वल्लभभाई पटेल
यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है। इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है, जिसकी आधार के साथ कुल ऊंचाई 208 मीटर (682 फीट) हैं।
प्रारम्भ में इस परियोजना की कुल लागत भारत सरकार द्वारा लगभग भारतीय रुपया3,001 करोड़ (US$438.15 मिलियन) रखी गयी थी, बाद लार्सन एंड टूब्रो ने अक्टूबर 2014 में सबसे कम भारतीय रुपया2,989 करोड़ (US$436.39 मिलियन) की बोली लगाई; जिसमें आकृति, निर्माण तथा रखरखाव शामिल था। निर्माण कार्य का प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2013 को प्रारम्भ हुआ। मूर्ति का निर्माण कार्य मध्य अक्टूबर 2018 में समाप्त हो गया। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर किया गया।
अभियान:
लौह पुरुष सरदार पटेल, जिनकी स्मृति में यह विशाल स्मारक लोहे से ही बनाया जायेगा।
गुजरात सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 को इस परियोजना की घोषणा की गयी थी। इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने इस कार्य हेतु पूरे भारतवर्ष में 36 कार्यालय खोले, जिससे लगभग 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया। इस अभियान का नाम "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान" दिया गया। 3 माह लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया। इस दौरान लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहे का संग्रह किया गया। हालाँकि शुरुआत में यह घोषणा की गयी थी कि संग्रहित किया गया लोहे का उपयोग मुख्य प्रतिमा में किया जायेगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में उपयोग नहीं हो सका; और इसे परियोजना से जुड़े अन्य निर्माणों में प्रयोग किया गया।
मूर्ति निर्माण के अभियान से "सुराज" प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी। सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र बन गया जिसपर हस्ताक्षर हुए हों। इसके अतरिक्त 15 दिसम्बर 2013 को एक "रन फॉर यूनिटी" नामक मैराथन का भी पूरे भारतवर्ष में आयोजन हुआ। इस मैराथन में भी बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
परियोजना:
जनवरी 2018 में निर्माणाधीन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित यह स्मारक नर्मदा बांध की दिशा में, उससे 3.2 किमी दूर साधू बेट नामक नदी द्वीप पर बनाया गया है। आधार सहित इस मूर्ति की कुल ऊँचाई 240 मीटर है जिसमे 58 मीटर का आधार तथा 182 मीटर की मूर्ति है। यह मूर्ति इस्पात साँचे, प्रबलित कंक्रीट तथा कांस्य लेपन से युक्त है। इस स्मारक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
मूर्ति पर कांस्य लेपन
स्मारक तक पहुँचने के लिये लिफ्ट
मूर्ति का त्रि-स्तरीय आधार, जिसमे प्रदर्शनी फ्लोर, छज्जा और छत शामिल हैं। छत पर स्मारक उपवन, विशाल संग्रहालय तथा प्रदर्शनी हॉल है जिसमे सरदार पटेल की जीवन तथा योगदानों को दर्शाया गया है।
एक नदी से 500 फिट ऊँचा आब्जर्वर डेक का भी निर्माण किया गया है जिसमे एक ही समय में दो सौ लोग मूर्ति का निरिक्षण कर सकते हैं।
नाव के द्वारा केवल 5 मिनट में मूर्ति तक पहुँचा जा सकेगा।
एक आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखी जा सकती है। इसमें खान-पान स्टॉल, उपहार की दुकानें, रिटेल और अन्य सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे पर्यटकों को अच्छा अनुभव होगा।
प्रत्येक सोमवार को रखरखाव के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक बंद रहता है।
वित्तीय सहायता:
स्मारक सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से बना है, जिसमे अधिकांश भाग गुजरात सरकार का है। गुजरात सरकार ने 2012-13 बजट में इस हेतु ₹100 करोड़ तथा 2014-15 में ₹500 करोड़ आवंटित किये थे। 2014-15 भारतीय संघ के बजट में इस मूर्ति के निर्माण हेतु ₹2 अरब आवंटित किये गये।
निर्माण:
इस मूर्ति के निर्माण हेतु टर्नर कंस्ट्रक्शन (बुर्ज खलीफा का परियोजना प्रबंधक) की सहायता ली जा रही है। इसे पूर्ण होने में लगभग 4 वर्ष का समय लगा। परियोजना की कुल लागत भारतीय रुपया2,063 करोड़ (US$301.2 मिलियन) है। प्रथम चरण के लिये अक्टूबर 2013 को बोली के लिये आमंत्रित किया गया और नवम्बर 2018 तक चला।
तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी (अब भारत के प्रधानमंत्री) ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभभाई पटेल के 138वें जन्मदिवस के अवसर पर इस स्मारक का शिलान्यास किया। इसके पश्चात मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ यह घोषणा की कि यह मूर्ति निर्माण के बाद दुनिया की सबसे लम्बी मूर्ति होगी।
भारतीय विनिर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने 27 अक्टूबर 2014 को सबसे कम भारतीय रुपया2,989 करोड़ (US$436.39 मिलियन) की बोली लगाकर आकृति, निर्माण तथा रखरखाव की जिम्मेदारी ली। मूर्ति का निर्माण मध्य-अक्टूबर 2018 तक समाप्त हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को इस मूर्ति का उद्घाटन किया।
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Statue of Unity
The Statue of Unity is a colossal statue of Indian statesman and independence activist Sardar Vallabhbhai Patel (1875–1950) in the state of Gujarat, India. It is the world's tallest statue with a height of 182 metres (597 ft). It is located on a river island facing the Sardar Sarovar Dam on the river Narmada in Kevadiya colony, 100 kilometres (62 mi) southeast of the city of Vadodara.
Statue of Unity
‘Statue of Unity’, on the occasion of the Rashtriya Ekta Diwas, at Kevadiya, in Narmada District of Gujarat on October 31, 2018 (1) (cropped).JPG
The statue as viewed on 31 October 2018
Statue of Unity is located in Gujarat
Statue of Unity
Location of the Statue of Unity in Gujarat
Show map of Gujarat
Show map of India
Show all
Coordinates
21.8380°N 73.7191°E
Location
Kevadiya colony, Narmada district, Gujarat, India
Designer
Ram V. Sutar
Type
Statue
Material
Steel framing, reinforced concrete, bronze cladding
Height
Statue: 182 metres (597 ft)
Including base: 240 metres (790 ft)
Beginning date
31 October 2013
Completion date
October 2018
Opening date
31 October 2018; 24 days ago
Dedicated to
Sardar Vallabhbhai Patel
Website
statueofunity.in
The project was first announced in 2010 and the construction of statue started in October 2014 by Larsen & Toubro, who received the contract for ₹2,989 crore (US$420 million). It was designed by Indian sculptor Ram V. Sutar, and was inaugurated by Indian Prime Minister Narendra Modi on 31 October 2018, the 143rd anniversary of Patel's birth.
History:
Aerial view of the Statue of Unity, 2018.
Narendra Modi first announced the project to commemorate Sardar Vallabhbhai Patel on 7 October 2010 at a press conference to mark the beginning of his 10th year as the Chief Minister of Gujarat. At the time, the project was dubbed, "Gujarat's tribute to the nation". A special purpose vehicle named the Sardar Vallabhbhai Patel Rashtriya Ekta Trust (SVPRET) was constituted by the Government of Gujarat for executing the project.
A outreach drive named the Statue of Unity Movement was started to support the construction of the statue. It helped collect the iron needed for the statue by asking farmers to donate their used farming instruments. By 2016, total 135 metric tonnes of scrap iron had been collected and about 109 tonnes of it was used to make the foundation of the statue after processing. A marathon entitled Run For Unity was held on 15 December 2013 in Surat in support of the project.
Design and construction:
Vallabhbhai Patel was one of the most prominent leaders of the Indian independence movement and responsible for the unification of hundreds of princely states to form the modern political boundary of India.
Design:
The statue depicts Vallabhbhai Patel, one of the most prominent leaders of the Indian independence movement, the first Deputy Prime Minister of India, and responsible for the unification of hundreds of princely states to form the modern political boundary of India.
The Statue of Unity is an enlarged version of this statue in the Ahmedabad International Airport.
After studying numerous statues of Patel across the country, a team of historians, artists, and academics chose to proceed with a design submitted by the Indian sculptor, Ram V. Sutar.[a] The Statue of Unity is a much larger replica of a statue of the leader installed at Ahmedabad International Airport. Commenting on the design, Ram Sutar's son, Anil Sutar explains that "the expression, posture and pose justify the dignity, confidence, iron will as well as kindness that his persona exudes. The head is up, a shawl flung from shoulders and hands are on the side as if he is set to walk". Three models of the design measuring 3 feet (0.91 m), 18 feet (5.5 m), and 30 feet (9.1 m) were initially created. Once the design of the largest model was approved, a detailed 3D-scan was produced which formed the basis for the bronze cladding cast in a foundry in China.
Patel's dhoti-clad legs and the use of sandals for footwear rendered the design thinner at the base than at the top thereby affecting its stability. This was addressed by maintaining a slenderness ratio of 16:19 rather than the customary 8:14 ratio of other tall buildings. The statue is built to withstand winds of up to 220 kilometres per hour (140 mph) and earthquakes measuring 6.5 on the Richter scale which are at a depth of 10 km and within a radius of 12 km of the statue. This is aided by the use of two 250-tonne tuned mass dampers which ensure maximum stability.
The total height of the structure from its base is 240 m (790 ft), with a base of 58 m (190 ft) and statue of 182 m (597 ft).[1] The height of 182 was specifically chosen to match the number of seats in the Gujarat Legislative Assembly.
Funding:
The statue was built on a Public Private Partnership model, with most of the money raised by the Government of Gujarat. The Gujarat state government had allotted ₹6 billion (US$83 million) for the project in the budget from 2012 to 2015.[10][11] In the 2014–15 Union Budget, ₹2 billion (US$28 million) were allocated for the construction of the statue. Funds were also contributed by Public Sector Undertakings under Corporate Social Responsibility scheme.
Construction:
The statue under construction in January 2018
Approximate heights of various notable statues:
1. Statue of Unity 240 m (incl. 58 m base)
2. Spring Temple Buddha 153 m (incl. 25 m pedestal and 20 m throne)
3. Statue of Liberty 93 m (incl. 47 m pedestal)
4. The Motherland Calls 87 m (incl. 2 m pedestal)
5. Christ the Redeemer 38 m (incl. 8 m pedestal)
6. Statue of David 5.17 m (excl. 2.5m plinth)
A consortium comprising Turner Construction, Michael Graves and Associates and the Meinhardt Group supervised the project. It took 56 months to complete – 15 months for planning, 40 months for construction and two months for handing over by the consortium. The total cost of the project was estimated to be about ₹20.63 billion (US$290 million) by the government. The tender bids for the first phase were invited in October 2013 and were closed in November 2013.
Narendra Modi, then serving as Chief Minister of Gujarat, laid the statue's foundation stone on 31 October 2013, the 138th anniversary of Patel's birth.
Indian infrastructure company Larsen & Toubro won the contract on 27 October 2014 for its lowest bid of ₹29.89 billion (US$420 million) for the design, construction and maintenance.[20][21] They commenced the construction on 31 October 2014. In the first phase of the project, ₹13.47 billion were for the main statue, ₹2.35 billion for the exhibition hall and convention centre, ₹830 million for the bridge connecting the memorial to the mainland and ₹6.57 billion for the maintenance of the structure for 15 years after its completion.[20][21] The Sadhu Bet hillock was flattened from 70 to 55 metres to lay the foundation.
L&T employed over 3000 workers and 250 engineers in the statue's construction. The core of the statue utilised 210,000 cubic metres (7,400,000 cu ft) of cement concrete, 6500 tonnes of structural steel, and 18500 tonnes of reinforced steel. The outer façade is made up of 1700 tonnes of bronze plates and 1850 tonnes of bronze cladding which in turn comprise 565 macro and 6000 micro panels. The bronze panels were cast in Jiangxi Tongqing Metal Handicrafts Co. Ltd (the TQ Art foundry) in China as suitable facilities were unavailable in India. The bronze panels were transported over sea and then by road to the workshop near the construction site where they were assembled.
Construction of the monument was completed in mid-October 2018; and the inaugural ceremony was held on 31 October 2018, presided over by Prime Minister Narendra Modi. The statue has been described as a tribute to Indian engineering skills.
Features:
Prime Minister Narendra Modi in the museum within the base
The Statue of Unity is the world's tallest statue at 182 metres (597 ft). It rises 54 metres (177 ft) higher than the previous record holder, the Spring Temple Buddha in China's Henan province. Within India, the record was earlier held by the 41 m (135 ft) statue of Hanuman at the Paritala Anjaneya Temple near Vijayawada in the state of Andhra Pradesh. The statue can be seen within a 7 km (4.3 mi) radius.
The monument is constructed on a river island named Sadhu Bet, 3.2 km (2.0 mi) away from and facing the Narmada Dam downstream. The statue and its surroundings occupy more than 2 hectares (4.9 acres),[citation needed] and are surrounded by a 12 km (7.5 mi) long artificial lake formed by the Garudeshwar weir downstream on the Narmada river.
The statue is divided into five zones of which only three are accessible to the public. From its base to the level of Patel's shins is the first zone which has three levels and includes an exhibition area, mezzanine and roof. Zone 1 contains a memorial garden and a museum. The second zone reaches up to Patel's thighs at 149 metres, while the third extends up to the viewing gallery at 153 metres. Zone 4 is the maintenance area while the final zone comprises the head and shoulders of the statue.
The museum in zone 1 catalogues the life of Sardar Patel and his contributions. An adjoining audio-visual gallery provides a 15 minute presentation on Patel and also describes the tribal culture of the state. The concrete towers which form the statue's legs contain two elevators each. Each lift can carry 26 people at a time to the viewing gallery in just over 30 seconds. The gallery is located at a height of 153 metres (502 ft) and can hold up to 200 people.
Tourism:
Over 128,000 tourists visited it in 11 days since it was opened to the public on November 1, 2018.
Plans are underway to introduce alternate means of transport to improve accessibility to the memorial. An amphibian bus from Kevadiya is planned as is a jetty service from the site of the Sardar Sarovar dam and a ropeway. The statue remains closed every Monday for maintenance.
Issues and criticism:
Local tribals belonging to the Tadvi tribe opposed land acquisition for the development of tourism infrastructure around the statue. They have been offered cash and land compensation, and have been provided jobs. Activists like Medha Patkar have also opposed the project. They also claimed that Sadhu Bet was originally called Varata Bawa Tekri, named after a local deity, and so it was a site of religious importance.
Environmental activists wrote a letter to the central government contending that project implementation started without clearance from the Environment Ministry.[35] People of Kevadia, Kothi, Waghodia, Limbdi, Navagam, and Gora villages opposed the construction of the statue and demanded the restitution of the land rights over 375 hectares (927 acres) of land acquired earlier for the dam as well as the formation of new Garudeshwar subdistrict. They also opposed the formation of Kevadia Area Development Authority (KADA) and the construction of Garudeshwar weir-cum-causeway project. The government of Gujarat accepted their demands.
When initially ₹200 crore (US$28 million) was allocated for the statue in the 2014–15 Union budget, several people and political parties criticised the expenditure on the statue over other priorities, such as women's safety, education and agricultural schemes. L&T contracted with TQ Art Foundry – a subsidiary of the Jiangxi Toqine Company based in Nanchang, China – for the bronze cladding of the statue, which was criticised by the Indian National Congress, the opposition party in the Gujarat Legislative Assembly. L&T later clarified that 9% of the total value of the project was sourced from China.
स्टॅच्यू ऑफ युनिटी (मराठी: एकतेचा पुतळा) हे भारतीय स्वातंत्र्य चळवळीचे नेते वल्लभभाई पटेल यांना समर्पित स्मारक आहे, हे गुजरातच्या राजपीपळा शहरा जवळ नर्मदा धरणाजवळील साधू बेटावर स्थित आहे. हे स्मारक २०,००० मी२ क्षेत्रात आहे आणि १२ किमी२ आकाराच्या कृत्रिम तलावाने घेरलेले आहे. १८२ मीटर (५९७ फूट) उंचीची ही जगातील सर्वात उंच मूर्ती आहे.
ऑक्टोबर २०१४ मध्ये, या प्रकल्पाची संरचना, बांधकाम आणि देखभाल यासाठी २९८९ कोटी रुपयांचा करार लार्सन अँड टुब्रो यांच्याशी केला गेला. याचे बांधकाम ३१ ऑक्टोबर २०१४ पासून सुरू झाले आणि मध्य-ऑक्टोबर २०१८ मध्ये पूर्ण झाले.
भारतीय मूर्तिकार राम व्ही. सुतार यांनी ही संरचना (डिझाइन) केले होते आणि पटेलांच्या जयंतीच्या दिवशी ३१ ऑक्टोबर २०१८ रोजी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी या स्मारकाचे उद्घाटन केले.
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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है, जो भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
framrless
एकता की मूर्ति
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थित है गुजरात
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
निर्माण स्थल की गुजरात राज्य में अवस्थिति
निर्देशांक
21°50′16″N 73°43′08″E / 21.83778°N 73.71889°E
स्थिति
साधू बेट, सरदार सरोवर बांध के निकट, गरुड़ेश्वर बांध, नर्मदा जिला, गुजरात, भारत
अभिकल्पना
राम सुतार
प्रकार
मूर्ति
सामग्री
इस्पात साँचे, प्रबलित कंक्रीट, कांस्य का लेप
ऊँचाई
मूर्ति: 182 मीटर (597 फीट)
आधार सहित: 240 मीटर (790 फीट)
निर्माण आरंभ
अक्टूबर 31, 2013; 5 वर्ष पहले
समर्पित
वल्लभभाई पटेल
यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है। इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है, जिसकी आधार के साथ कुल ऊंचाई 208 मीटर (682 फीट) हैं।
प्रारम्भ में इस परियोजना की कुल लागत भारत सरकार द्वारा लगभग भारतीय रुपया3,001 करोड़ (US$438.15 मिलियन) रखी गयी थी, बाद लार्सन एंड टूब्रो ने अक्टूबर 2014 में सबसे कम भारतीय रुपया2,989 करोड़ (US$436.39 मिलियन) की बोली लगाई; जिसमें आकृति, निर्माण तथा रखरखाव शामिल था। निर्माण कार्य का प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2013 को प्रारम्भ हुआ। मूर्ति का निर्माण कार्य मध्य अक्टूबर 2018 में समाप्त हो गया। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर किया गया।
अभियान:
लौह पुरुष सरदार पटेल, जिनकी स्मृति में यह विशाल स्मारक लोहे से ही बनाया जायेगा।
गुजरात सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 को इस परियोजना की घोषणा की गयी थी। इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने इस कार्य हेतु पूरे भारतवर्ष में 36 कार्यालय खोले, जिससे लगभग 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया। इस अभियान का नाम "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान" दिया गया। 3 माह लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया। इस दौरान लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहे का संग्रह किया गया। हालाँकि शुरुआत में यह घोषणा की गयी थी कि संग्रहित किया गया लोहे का उपयोग मुख्य प्रतिमा में किया जायेगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में उपयोग नहीं हो सका; और इसे परियोजना से जुड़े अन्य निर्माणों में प्रयोग किया गया।
मूर्ति निर्माण के अभियान से "सुराज" प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी। सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र बन गया जिसपर हस्ताक्षर हुए हों। इसके अतरिक्त 15 दिसम्बर 2013 को एक "रन फॉर यूनिटी" नामक मैराथन का भी पूरे भारतवर्ष में आयोजन हुआ। इस मैराथन में भी बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
परियोजना:
जनवरी 2018 में निर्माणाधीन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित यह स्मारक नर्मदा बांध की दिशा में, उससे 3.2 किमी दूर साधू बेट नामक नदी द्वीप पर बनाया गया है। आधार सहित इस मूर्ति की कुल ऊँचाई 240 मीटर है जिसमे 58 मीटर का आधार तथा 182 मीटर की मूर्ति है। यह मूर्ति इस्पात साँचे, प्रबलित कंक्रीट तथा कांस्य लेपन से युक्त है। इस स्मारक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
मूर्ति पर कांस्य लेपन
स्मारक तक पहुँचने के लिये लिफ्ट
मूर्ति का त्रि-स्तरीय आधार, जिसमे प्रदर्शनी फ्लोर, छज्जा और छत शामिल हैं। छत पर स्मारक उपवन, विशाल संग्रहालय तथा प्रदर्शनी हॉल है जिसमे सरदार पटेल की जीवन तथा योगदानों को दर्शाया गया है।
एक नदी से 500 फिट ऊँचा आब्जर्वर डेक का भी निर्माण किया गया है जिसमे एक ही समय में दो सौ लोग मूर्ति का निरिक्षण कर सकते हैं।
नाव के द्वारा केवल 5 मिनट में मूर्ति तक पहुँचा जा सकेगा।
एक आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखी जा सकती है। इसमें खान-पान स्टॉल, उपहार की दुकानें, रिटेल और अन्य सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे पर्यटकों को अच्छा अनुभव होगा।
प्रत्येक सोमवार को रखरखाव के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक बंद रहता है।
वित्तीय सहायता:
स्मारक सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से बना है, जिसमे अधिकांश भाग गुजरात सरकार का है। गुजरात सरकार ने 2012-13 बजट में इस हेतु ₹100 करोड़ तथा 2014-15 में ₹500 करोड़ आवंटित किये थे। 2014-15 भारतीय संघ के बजट में इस मूर्ति के निर्माण हेतु ₹2 अरब आवंटित किये गये।
निर्माण:
इस मूर्ति के निर्माण हेतु टर्नर कंस्ट्रक्शन (बुर्ज खलीफा का परियोजना प्रबंधक) की सहायता ली जा रही है। इसे पूर्ण होने में लगभग 4 वर्ष का समय लगा। परियोजना की कुल लागत भारतीय रुपया2,063 करोड़ (US$301.2 मिलियन) है। प्रथम चरण के लिये अक्टूबर 2013 को बोली के लिये आमंत्रित किया गया और नवम्बर 2018 तक चला।
तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी (अब भारत के प्रधानमंत्री) ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभभाई पटेल के 138वें जन्मदिवस के अवसर पर इस स्मारक का शिलान्यास किया। इसके पश्चात मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ यह घोषणा की कि यह मूर्ति निर्माण के बाद दुनिया की सबसे लम्बी मूर्ति होगी।
भारतीय विनिर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने 27 अक्टूबर 2014 को सबसे कम भारतीय रुपया2,989 करोड़ (US$436.39 मिलियन) की बोली लगाकर आकृति, निर्माण तथा रखरखाव की जिम्मेदारी ली। मूर्ति का निर्माण मध्य-अक्टूबर 2018 तक समाप्त हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को इस मूर्ति का उद्घाटन किया।
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Statue of Unity
The Statue of Unity is a colossal statue of Indian statesman and independence activist Sardar Vallabhbhai Patel (1875–1950) in the state of Gujarat, India. It is the world's tallest statue with a height of 182 metres (597 ft). It is located on a river island facing the Sardar Sarovar Dam on the river Narmada in Kevadiya colony, 100 kilometres (62 mi) southeast of the city of Vadodara.
Statue of Unity
‘Statue of Unity’, on the occasion of the Rashtriya Ekta Diwas, at Kevadiya, in Narmada District of Gujarat on October 31, 2018 (1) (cropped).JPG
The statue as viewed on 31 October 2018
Statue of Unity is located in Gujarat
Statue of Unity
Location of the Statue of Unity in Gujarat
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Coordinates
21.8380°N 73.7191°E
Location
Kevadiya colony, Narmada district, Gujarat, India
Designer
Ram V. Sutar
Type
Statue
Material
Steel framing, reinforced concrete, bronze cladding
Height
Statue: 182 metres (597 ft)
Including base: 240 metres (790 ft)
Beginning date
31 October 2013
Completion date
October 2018
Opening date
31 October 2018; 24 days ago
Dedicated to
Sardar Vallabhbhai Patel
Website
statueofunity.in
The project was first announced in 2010 and the construction of statue started in October 2014 by Larsen & Toubro, who received the contract for ₹2,989 crore (US$420 million). It was designed by Indian sculptor Ram V. Sutar, and was inaugurated by Indian Prime Minister Narendra Modi on 31 October 2018, the 143rd anniversary of Patel's birth.
History:
Aerial view of the Statue of Unity, 2018.
Narendra Modi first announced the project to commemorate Sardar Vallabhbhai Patel on 7 October 2010 at a press conference to mark the beginning of his 10th year as the Chief Minister of Gujarat. At the time, the project was dubbed, "Gujarat's tribute to the nation". A special purpose vehicle named the Sardar Vallabhbhai Patel Rashtriya Ekta Trust (SVPRET) was constituted by the Government of Gujarat for executing the project.
A outreach drive named the Statue of Unity Movement was started to support the construction of the statue. It helped collect the iron needed for the statue by asking farmers to donate their used farming instruments. By 2016, total 135 metric tonnes of scrap iron had been collected and about 109 tonnes of it was used to make the foundation of the statue after processing. A marathon entitled Run For Unity was held on 15 December 2013 in Surat in support of the project.
Design and construction:
Vallabhbhai Patel was one of the most prominent leaders of the Indian independence movement and responsible for the unification of hundreds of princely states to form the modern political boundary of India.
Design:
The statue depicts Vallabhbhai Patel, one of the most prominent leaders of the Indian independence movement, the first Deputy Prime Minister of India, and responsible for the unification of hundreds of princely states to form the modern political boundary of India.
The Statue of Unity is an enlarged version of this statue in the Ahmedabad International Airport.
After studying numerous statues of Patel across the country, a team of historians, artists, and academics chose to proceed with a design submitted by the Indian sculptor, Ram V. Sutar.[a] The Statue of Unity is a much larger replica of a statue of the leader installed at Ahmedabad International Airport. Commenting on the design, Ram Sutar's son, Anil Sutar explains that "the expression, posture and pose justify the dignity, confidence, iron will as well as kindness that his persona exudes. The head is up, a shawl flung from shoulders and hands are on the side as if he is set to walk". Three models of the design measuring 3 feet (0.91 m), 18 feet (5.5 m), and 30 feet (9.1 m) were initially created. Once the design of the largest model was approved, a detailed 3D-scan was produced which formed the basis for the bronze cladding cast in a foundry in China.
Patel's dhoti-clad legs and the use of sandals for footwear rendered the design thinner at the base than at the top thereby affecting its stability. This was addressed by maintaining a slenderness ratio of 16:19 rather than the customary 8:14 ratio of other tall buildings. The statue is built to withstand winds of up to 220 kilometres per hour (140 mph) and earthquakes measuring 6.5 on the Richter scale which are at a depth of 10 km and within a radius of 12 km of the statue. This is aided by the use of two 250-tonne tuned mass dampers which ensure maximum stability.
The total height of the structure from its base is 240 m (790 ft), with a base of 58 m (190 ft) and statue of 182 m (597 ft).[1] The height of 182 was specifically chosen to match the number of seats in the Gujarat Legislative Assembly.
Funding:
The statue was built on a Public Private Partnership model, with most of the money raised by the Government of Gujarat. The Gujarat state government had allotted ₹6 billion (US$83 million) for the project in the budget from 2012 to 2015.[10][11] In the 2014–15 Union Budget, ₹2 billion (US$28 million) were allocated for the construction of the statue. Funds were also contributed by Public Sector Undertakings under Corporate Social Responsibility scheme.
Construction:
The statue under construction in January 2018
Approximate heights of various notable statues:
1. Statue of Unity 240 m (incl. 58 m base)
2. Spring Temple Buddha 153 m (incl. 25 m pedestal and 20 m throne)
3. Statue of Liberty 93 m (incl. 47 m pedestal)
4. The Motherland Calls 87 m (incl. 2 m pedestal)
5. Christ the Redeemer 38 m (incl. 8 m pedestal)
6. Statue of David 5.17 m (excl. 2.5m plinth)
A consortium comprising Turner Construction, Michael Graves and Associates and the Meinhardt Group supervised the project. It took 56 months to complete – 15 months for planning, 40 months for construction and two months for handing over by the consortium. The total cost of the project was estimated to be about ₹20.63 billion (US$290 million) by the government. The tender bids for the first phase were invited in October 2013 and were closed in November 2013.
Narendra Modi, then serving as Chief Minister of Gujarat, laid the statue's foundation stone on 31 October 2013, the 138th anniversary of Patel's birth.
Indian infrastructure company Larsen & Toubro won the contract on 27 October 2014 for its lowest bid of ₹29.89 billion (US$420 million) for the design, construction and maintenance.[20][21] They commenced the construction on 31 October 2014. In the first phase of the project, ₹13.47 billion were for the main statue, ₹2.35 billion for the exhibition hall and convention centre, ₹830 million for the bridge connecting the memorial to the mainland and ₹6.57 billion for the maintenance of the structure for 15 years after its completion.[20][21] The Sadhu Bet hillock was flattened from 70 to 55 metres to lay the foundation.
L&T employed over 3000 workers and 250 engineers in the statue's construction. The core of the statue utilised 210,000 cubic metres (7,400,000 cu ft) of cement concrete, 6500 tonnes of structural steel, and 18500 tonnes of reinforced steel. The outer façade is made up of 1700 tonnes of bronze plates and 1850 tonnes of bronze cladding which in turn comprise 565 macro and 6000 micro panels. The bronze panels were cast in Jiangxi Tongqing Metal Handicrafts Co. Ltd (the TQ Art foundry) in China as suitable facilities were unavailable in India. The bronze panels were transported over sea and then by road to the workshop near the construction site where they were assembled.
Construction of the monument was completed in mid-October 2018; and the inaugural ceremony was held on 31 October 2018, presided over by Prime Minister Narendra Modi. The statue has been described as a tribute to Indian engineering skills.
Features:
Prime Minister Narendra Modi in the museum within the base
The Statue of Unity is the world's tallest statue at 182 metres (597 ft). It rises 54 metres (177 ft) higher than the previous record holder, the Spring Temple Buddha in China's Henan province. Within India, the record was earlier held by the 41 m (135 ft) statue of Hanuman at the Paritala Anjaneya Temple near Vijayawada in the state of Andhra Pradesh. The statue can be seen within a 7 km (4.3 mi) radius.
The monument is constructed on a river island named Sadhu Bet, 3.2 km (2.0 mi) away from and facing the Narmada Dam downstream. The statue and its surroundings occupy more than 2 hectares (4.9 acres),[citation needed] and are surrounded by a 12 km (7.5 mi) long artificial lake formed by the Garudeshwar weir downstream on the Narmada river.
The statue is divided into five zones of which only three are accessible to the public. From its base to the level of Patel's shins is the first zone which has three levels and includes an exhibition area, mezzanine and roof. Zone 1 contains a memorial garden and a museum. The second zone reaches up to Patel's thighs at 149 metres, while the third extends up to the viewing gallery at 153 metres. Zone 4 is the maintenance area while the final zone comprises the head and shoulders of the statue.
The museum in zone 1 catalogues the life of Sardar Patel and his contributions. An adjoining audio-visual gallery provides a 15 minute presentation on Patel and also describes the tribal culture of the state. The concrete towers which form the statue's legs contain two elevators each. Each lift can carry 26 people at a time to the viewing gallery in just over 30 seconds. The gallery is located at a height of 153 metres (502 ft) and can hold up to 200 people.
Tourism:
Over 128,000 tourists visited it in 11 days since it was opened to the public on November 1, 2018.
Plans are underway to introduce alternate means of transport to improve accessibility to the memorial. An amphibian bus from Kevadiya is planned as is a jetty service from the site of the Sardar Sarovar dam and a ropeway. The statue remains closed every Monday for maintenance.
Issues and criticism:
Local tribals belonging to the Tadvi tribe opposed land acquisition for the development of tourism infrastructure around the statue. They have been offered cash and land compensation, and have been provided jobs. Activists like Medha Patkar have also opposed the project. They also claimed that Sadhu Bet was originally called Varata Bawa Tekri, named after a local deity, and so it was a site of religious importance.
Environmental activists wrote a letter to the central government contending that project implementation started without clearance from the Environment Ministry.[35] People of Kevadia, Kothi, Waghodia, Limbdi, Navagam, and Gora villages opposed the construction of the statue and demanded the restitution of the land rights over 375 hectares (927 acres) of land acquired earlier for the dam as well as the formation of new Garudeshwar subdistrict. They also opposed the formation of Kevadia Area Development Authority (KADA) and the construction of Garudeshwar weir-cum-causeway project. The government of Gujarat accepted their demands.
When initially ₹200 crore (US$28 million) was allocated for the statue in the 2014–15 Union budget, several people and political parties criticised the expenditure on the statue over other priorities, such as women's safety, education and agricultural schemes. L&T contracted with TQ Art Foundry – a subsidiary of the Jiangxi Toqine Company based in Nanchang, China – for the bronze cladding of the statue, which was criticised by the Indian National Congress, the opposition party in the Gujarat Legislative Assembly. L&T later clarified that 9% of the total value of the project was sourced from China.
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