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दीना पाठक
दीना पाठक (जन्म: 4 मार्च, 1922; निधन: 11 अक्टूबर, 2002) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं।
दीना पाठक
चित्र:दीना पाठक.jpg
जन्म 4 मार्च 1922
अमरेली
मृत्यु 11 अक्टूबर 2002 (उम्र 80)
मुम्बई
व्यवसाय अभिनेत्री
पदवी दीना पाठक
बच्चे रत्ना पाठक, सुप्रिया पाठक
पुरस्कार Sangeet Natak Akademi Award[*]
प्रमुख फिल्में:
वर्ष फ़िल्म चरित्र टिप्पणी
2003 पिंजर
2002 बॉलीवुड हॉलीवुड
2002 देवदास भुवन चौधरी की माता
2001 आशिक
1999 प्यार कोई खेल नहीं आनन्द व सुनील की दादी
1999 कारतूस
1998 घरवाली बाहरवाली अरुण की दादी
1998 ज़ुल्म-ओ-सितम
1997 परदेश सूरजदेव की माँ
1997 ज़ोर
1997 मेरे सपनों की रानी
1995 दुश्मनी
1995 सबसे बड़ा खिलाड़ी
1995 याराना
1995 मैदान-ए-जंग बुआजी
1994 ईना मीना डीका ईना की माँ
1994 तर्पण
1993 आईना रीमा व रोमा की दादी
1993 फूल
1993 जागृति
1992 ज़ख्मी सिपाही
1992 आज का गुंडाराज
1991 अंतर्नाद
1991 सनम बेवफ़ा
1991 सौदागर दादा बीर की बहन
1989 हम इन्तज़ार करेंगे
1989 क्लर्क
1988 मोहब्बत के दुश्मन
1987 राही
1987 इज़ाज़त
1987 औलाद यशोदा की सास
1986 एक पल
1986 एक चादर मैली सी जिन्दा (रानो की सास)
1986 कर्मदाता
1986 तमस
1986 शर्त
1985 अनकही
1985 मिर्च मसाला
1985 सुर संगम
1985 झूठी
1985 रामकली
1984 मोहन जोशी हाज़िर हो
1984 आशा ज्योति
1984 रक्षा बंधन
1983 अच्छा बुरा
1983 वो सात दिन आनन्द की माता
1983 अर्पण श्रीमती वर्मा
1983 प्रेम तपस्या
1982 भीगी पलकें
1982 तुम्हारे बिना
1982 नादान
1982 विजेता बीजी (निहाल की मां)
1982 दिल आखिर दिल है शोभा देसाई
1982 अर्थ
1981 शारदा
1981 बीवी ओ बीवी
1981 उमराव जान
1981 सनसनी
1980 भवनी भवाई
1980 साजन मेरे मैं साजन की
1980 खूबसूरत निर्मला
1980 हमकदम
1980 थोड़ी सी बेवफाई
1979 गोल माल श्रीमती कमला श्रीवास्तव
1979 जीना यहाँ
1979 मीरा विरेनदेव राठोड की पत्नी
1979 दो लड़्के दो कड़्के
1979 एहसास
1979 खानदान ऊषा की माँ
1978 बदलते रिश्ते श्रीमती ठाकुर
1977 घरौंदा
1977 ड्रीम गर्ल
1977 पहेली मास्टरजी की पत्नी
1977 किनारा
1977 भूमिका
1977 अनुरोध सुषमा चौधरी
1977 विश्वासघात
1976 चितचोर श्रीमती पीतांबर चौधरी
1976 लगाम
1975 मौसम
1975 अनाड़ी
1974 चरित्रहीन
1974 आप की कसम सुनीता की मां
1973 अविष्कार
1972 कोशिश
1971 जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली
1969 सात हिन्दुस्तानी
1969 सत्यकाम
___________________
दीना पाठक (जन्म: 4 मार्च, 1922; निधन: 11 अक्टूबर, 2002) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं।
दीना पाठक
चित्र:दीना पाठक.jpg
जन्म 4 मार्च 1922
अमरेली
मृत्यु 11 अक्टूबर 2002 (उम्र 80)
मुम्बई
व्यवसाय अभिनेत्री
पदवी दीना पाठक
बच्चे रत्ना पाठक, सुप्रिया पाठक
पुरस्कार Sangeet Natak Akademi Award[*]
प्रमुख फिल्में:
वर्ष फ़िल्म चरित्र टिप्पणी
2003 पिंजर
2002 बॉलीवुड हॉलीवुड
2002 देवदास भुवन चौधरी की माता
2001 आशिक
1999 प्यार कोई खेल नहीं आनन्द व सुनील की दादी
1999 कारतूस
1998 घरवाली बाहरवाली अरुण की दादी
1998 ज़ुल्म-ओ-सितम
1997 परदेश सूरजदेव की माँ
1997 ज़ोर
1997 मेरे सपनों की रानी
1995 दुश्मनी
1995 सबसे बड़ा खिलाड़ी
1995 याराना
1995 मैदान-ए-जंग बुआजी
1994 ईना मीना डीका ईना की माँ
1994 तर्पण
1993 आईना रीमा व रोमा की दादी
1993 फूल
1993 जागृति
1992 ज़ख्मी सिपाही
1992 आज का गुंडाराज
1991 अंतर्नाद
1991 सनम बेवफ़ा
1991 सौदागर दादा बीर की बहन
1989 हम इन्तज़ार करेंगे
1989 क्लर्क
1988 मोहब्बत के दुश्मन
1987 राही
1987 इज़ाज़त
1987 औलाद यशोदा की सास
1986 एक पल
1986 एक चादर मैली सी जिन्दा (रानो की सास)
1986 कर्मदाता
1986 तमस
1986 शर्त
1985 अनकही
1985 मिर्च मसाला
1985 सुर संगम
1985 झूठी
1985 रामकली
1984 मोहन जोशी हाज़िर हो
1984 आशा ज्योति
1984 रक्षा बंधन
1983 अच्छा बुरा
1983 वो सात दिन आनन्द की माता
1983 अर्पण श्रीमती वर्मा
1983 प्रेम तपस्या
1982 भीगी पलकें
1982 तुम्हारे बिना
1982 नादान
1982 विजेता बीजी (निहाल की मां)
1982 दिल आखिर दिल है शोभा देसाई
1982 अर्थ
1981 शारदा
1981 बीवी ओ बीवी
1981 उमराव जान
1981 सनसनी
1980 भवनी भवाई
1980 साजन मेरे मैं साजन की
1980 खूबसूरत निर्मला
1980 हमकदम
1980 थोड़ी सी बेवफाई
1979 गोल माल श्रीमती कमला श्रीवास्तव
1979 जीना यहाँ
1979 मीरा विरेनदेव राठोड की पत्नी
1979 दो लड़्के दो कड़्के
1979 एहसास
1979 खानदान ऊषा की माँ
1978 बदलते रिश्ते श्रीमती ठाकुर
1977 घरौंदा
1977 ड्रीम गर्ल
1977 पहेली मास्टरजी की पत्नी
1977 किनारा
1977 भूमिका
1977 अनुरोध सुषमा चौधरी
1977 विश्वासघात
1976 चितचोर श्रीमती पीतांबर चौधरी
1976 लगाम
1975 मौसम
1975 अनाड़ी
1974 चरित्रहीन
1974 आप की कसम सुनीता की मां
1973 अविष्कार
1972 कोशिश
1971 जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली
1969 सात हिन्दुस्तानी
1969 सत्यकाम
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दीना पाठक
दीना पाठक
दीना पाठक (एक फिल्म के दृश्य में)
पूरा नाम दीना पाठक
जन्म 4 मार्च, 1922
जन्म भूमि अमरेली, गुजरात
मृत्यु 11 अक्टूबर, 2002
मृत्यु स्थान बांद्रा, मुम्बई
पति/पत्नी बलदेव पाठक
संतान सुप्रिया पाठक और रत्ना पाठक
कर्म-क्षेत्र सिनेमा
मुख्य फ़िल्में मौसम, किनारा, किताब, चितचोर, घरौंदा, गोलमाल, खूबसूरत आदि
पुरस्कार-उपाधि संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी वर्ष 2000 में, 78 साल की उम्र में भी, दीना पाठक ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इण्डियन विमेन’ जैसे भारतीय स्तर के महिला संगठन की अध्यक्षा थीं।
दीना पाठक (अंग्रेज़ी:Dina Pathak; जन्म: 4 मार्च, 1922 - निधन: 11 अक्टूबर, 2002) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं। दीना पाठक की प्रसिद्ध फिल्मों में मौसम, किनारा, किताब, चितचोर, घरौंदा, गोलमाल, खूबसूरत आदि शामिल हैं। दीना पाठक ने अपने कॅरियर की अधिकतर फिल्में आर्ट निर्देशकों के साथ की। ऐसा इसलिए क्यूंकि वह थियेटर जगत् से जुड़ी थीं और कमर्शियल फिल्मों की चमक-दमक उन्हें पसंद नहीं थी। भारतीय सिनेमा जगत् में दीना पाठक ने ना सिर्फ अभिनय के क्षेत्र में अपना डंका बजाया बल्कि उन्होंने थियेटर जगत् को सिनेमा के साथ जोड़ने में बेहद अहम भूमिका निभाई। आज़ादी से पहले महिलाओं का रंगमंच से जुड़ाव बेहद कम होता था। ऐसे समय में भी दीना पाठक ने रंगमंच को अपनी कर्मभूमि बनाई और उसमें सफलता हासिल करने की कोशिश की। अंग्रेज़ों से लड़ाई की जंग में दीना पाठक ने भी अपना योगदान दिया था। उन्होंने नुक्कड़ और नाटकों द्वारा जनता को अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ एकजुट होने की अपील की थी। गुजराती थियेटर को अपनी पहचान दिलाने में दीना पाठक का बेहद अहम योगदान रहा है। 1940 से ही दीना पाठक गुजराती थियेटरों में काम करने लगीं थीं। दीना पाठक की बेटियां रत्ना पाठक और सुप्रिया पाठक भी हिन्दी कला जगत् की चर्चित अभिनेत्री हैं। दोनों ने ही अधिकतर हास्य प्रधान टीवी कार्यक्रमों में अपनी छाप छोड़ी है। 80 के दशक के सबसे चर्चित टीवी शो 'मालगुड़ी डेज' में भी दीना पाठक नजर आईं। दीना पाठक की आख़िरी फिल्म साल 2003 की पिंजर रही।[1]
जीवन परिचय
दीना पाठक का जन्म गुजरात के अमरेली में 4 मार्च, 1922 को हुआ था और उनके पिताजी सिविल इन्जिनीयर थे। उनकी परवरिश पूना और बम्बई में भी हुई थी। इसलिए वे मराठी भी अच्छी बोल लेतीं थीं। उनके पढ़ाई के दिनों में आज़ादी का आंदोलन अपने ज़ोरों पर था। इस लिये उन दिनों शेरी नाटक का भी खूब चलन था। दीना जी, यानी उस समय की दीना गांधी, भी उनमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थीं। वे खासकर महिला जागृति के लिए कार्यशील थीं। विविध आंदोलनों का हिस्सा होने की वज़ह से उन्होंने कारावास भी सहा था। उनकी बड़ी बहन शांता गांधी तथा छोटी बहन तरला भी थियेटर से जुड़ी थीं। शांता गांधी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में भी प्रवृत्त थीं। जबकि तरला तो बाद में धर्मेन्द्र की आरंभिक फ़िल्म ‘शोला और शबनम’ की नायिका भी बनी थीं।[2]
कार्यक्षेत्र
दीना गांधी की स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी का आलम ये था कि बम्बई की सेंट ज़ेवीयर्स कालिज को उन्हें निकाल देना पड़ा था। मार्च ‘79 के ‘फ़िल्मफ़ेयर’ में दीना जी ने इस बात को बताते हुए कहा था कि उन्होंने दूसरी कालिज में पढ़ाई कर अपनी बी.ए. की उपाधि प्राप्त की थी। देश को स्वतंत्रता मिलते ही ‘स्ट्रीट प्ले’ जैसे कार्यक्रम बंद हो गये। उनके माता-पिता ने उसका विरोध तो नहीं किया; मगर कहा, ‘एक बार शादी कर लो, फिर जो चाहे करो’। तब दीना गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ता रमेश संघवी से शादी की। परंतु, ‘सिने ब्लिट्ज’ सामयिक को अगस्त 1995 के अंक में अपनी ज़िन्दगी के बारे में विस्तार से बताते हुए दीना जी ने जानकारी दी थी कि दोनों के रास्ते अलग होने की वज़ह से शादी के एक ही साल में वे अलग हो गये थे।[2]
अभिनय की शुरुआत
शादी के अलगाव के बाद दीना ने अपना पूरा ध्यान इण्डियन पिपल्स थियेटर एसोसीएशन ‘इप्टा’ में लगा दिया। यहाँ बलराज साहनी और ए.के. हंगल जैसे अभिनेताओं के साथ ड्रामा में हिस्सा लेते हुए, संयोगवश ही एक फ़िल्म की हीरोइन बनने का ऑफर मिला और उसे गंवाया भी! हुआ था यूँ कि ख्वाजा एहमद अब्बास भी लेफ्टिस्ट होने के कारण ‘इप्टा’ के कलाकारों से जुड़े थे। उन्होंने अपनी एक फ़िल्म ‘धरती के लाल’ के लिए दीना जी का नाम उन्हें पूछे बिना अखबार में दे दिया। फ़िल्म के हीरो देव आनंद होंगे ये भी कहा गया था। जब उनके डान्स ग्रुप के लीडर ने कहा कि उन्हें पूछे बिना कैसे फ़िल्म स्वीकार कर ली? क्या वो रंगमंच को छोड़ रही हैं? तब दीना जी ने अब्बास साहब को इनकार कर दिया। बाद में मज़े की बात ये हुई की अंततः देव आनंद ने भी वो फ़िल्म नहीं की और जिस लड़की ने नायिका की भूमिका की वह दीना जी के ग्रुप की ही एक अन्य सदस्या थी! दीना जी का नाटक ‘मेना गुर्जरी’ उन दिनों काफ़ी लोकप्रिय था। वे गुजरात के लोकसंगीत भवाई की अच्छी कलाकार ही नहीं, उस कला की सुरक्षा में भी इतनी ही लगी रहती थी। उनका ग्रुप जहाँ अपनी रिहर्सल करता था, उसी के पडोस में मोहन स्टूडियो हुआ करता था। इसलिए ग्रुप के कलाकार भी वहाँ शूटिंग देखने जाया करते थे। वहाँ बिमल राय के सभी सहायकों से दीना मिलती थीं; जिनमें ऋषिकेश मुखर्जी, गुलज़ार, बासु भट्टाचार्य भी शामिल थे। उनमें से बासु भट्टाचार्य ने ‘उसकी कहानी’ फ़िल्म में काम देकर हिन्दी फ़िल्मों का सफर प्रारंभ करवाया। परंतु, उनका करियर सही मायनों में शुरू हुआ, बासु चेटर्जी की 1966 में आई ‘सारा आकाश’ से। इस बीच उन्होंने बलदेव पाठक से शादी कर ली थी और दो बेटीयों सुप्रिया और रत्ना की माता भी बन चुकी थीं। वर्तमान में सुप्रिया पाठक ने पंकज कपूर के साथ और रत्ना पाठक ने नसीरुद्दीन शाह से शादी कर अपना घर तो बसाया ही है; साथ ही अपनी माता की तरह अभिनय में भी व्यस्त रहती हैं।[2]
प्रमुख फ़िल्में
दीना पाठक की प्रमुख फ़िल्मों में ‘सात हिन्दुस्तानी’, ‘आप की कसम’, ‘सत्यकाम’, ‘अनुरोध’, ‘जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली’, ‘देवी’, ‘आविष्कार’, ‘किनारा’, ‘चितचोर’, ‘मौसम’, ‘सच्चा झूठा’, ‘किताब’, ‘घरौंदा’, ‘मीरा’, ‘बदलते रिश्ते’, ‘ड्रीम गर्ल’, ‘भूमिका’, ‘भव नी भवाई’, ‘विजेता’, ‘थोड़ी सी बेवफाई’, ‘प्रेम रोग’, ‘प्रेम तपस्या’, ‘उमराव जान’, ‘नरम गरम’, ‘अर्थ’, ‘वो सात दिन’, ‘होली’, ‘अनकही’, ‘मिर्च मसाला’, ‘इजाज़त’, ‘सनम बेवफा’, ‘सौदागर’, ‘आंखें’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’, ‘याराना’, ‘आशिक’, ‘तुम बिन’, ‘लज्जा’, ‘एक चादर मैली सी’, ‘परदेस’, ‘देवदास’ और 2003 में आई ‘पिंजर’ तक का उल्लेख इंटरनेट से मिलता है।[2]
कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व
दीना पाठक की कर्तव्यनिष्ठा ऐसी कि ‘देवदास’ के गीत “डोला रे डोला...” के फ़िल्मांकन समय उनको बुखार था; फिर भी सेट पर वे सबसे पहले आ जाती थीं। अपने पति बलदेव पाठक के साथ 23 साल की शादीशुदा ज़िन्दगी और उनके देहांत के बाद जीवन के अंतिम 23 वर्ष पति के बिना गुज़ारे। मगर हर समय उनकी शान वही रही, जो पहले से थी। उन्हें कभी फ़िल्म ‘लज्जा’ में बेटियों की सामाजिक हालत के लिए अपनी पीढ़ी को ज़िम्मेदार ठहराते सुनो, तब ये मत समझना कि वे कोई संवाद बोल रहीं थीं। महिला उद्धार के लिए अपने निजी जीवन में भी वे उतनी ही प्रवृत्त थी। जैसे कि वर्ष 2000 में, 78 साल की उम्र में भी, वे ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इण्डियन विमेन’ जैसे भारतीय स्तर के महिला संगठन की अध्यक्षा थीं।[2]
मृत्यु
अपने लंबे करियर में दीना पाठक ने अमरीश पुरी से लेकर ओम पुरी और अशोक कुमार से अमिताभ बच्चन तक के हर पीढ़ी के सभी महारथी कलाकारों के साथ काम किया था। उनके निर्देशकों ने भी अपनी फ़िल्मों में उन्हें बार-बार दोहराया था, फिर वो ऋषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी हों या गुलज़ार तथा केतन मेहता हो। ऐसी अत्यंत प्रतिभावंत अभिनेत्री का देहांत 11 अक्तूबर 2002 के दिन हो गया। मगर उनकी यादगार फ़िल्मों के अपने अभिनय से दीना पाठक आज भी ज़िन्दा ही हैं।
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आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध
टीका टिप्पणी और संदर्भ
इन्हें देख आती थी दादी की याद (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 24 नवंबर, 2016।
दीना पाठक: एक प्रतिभावंत कलाकार और आजीवन बागी महिला कार्यकर्ता भी! (हिन्दी) द हिन्दी टाइम्स। अभिगमन तिथि: 24 नवंबर, 2016।
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Dina Pathak
Dina Pathak (née Gandhi; 4 March 1922 – 11 October 2002) was a veteran actor and director of Gujarati theatre and also a film actor. She also was an activist [clarification needed] and remained the President of the 'National Federation of Indian Women' (NIFW).[3][4]
Dina Pathak
Born Dina Gandhi[1]
4 March 1922
Amreli, Gujarat, India
Died 11 October 2002 (aged 80)
Bandra, Mumbai, India
Years active 1948–2002
Spouse(s) Baldev Pathak
Children Supriya Pathak
Ratna Pathak
Relatives Naseeruddin Shah (Son-in-law)
Pankaj Kapoor (Son-in-law)
Vivaan Shah (Grandson)
Imaad Shah (Grandson)
Ruhaan Kapoor (grandson)
Awards Sangeet Natak Akademi Award (1980)
Government of Gujarat's Merit Award (Theatre) for (2000–2001)[2]
A doyenne of Hindi and Gujarati films as well as theatre, Dina Pathak acted in over 120 films in a career spanning over six decades. Her production Mena Gurjari in Bhavai folk theatre style, ran successfully for many years, and is now a part of its repertoire.[5][6]
She is best known for her memorable roles in the Hindi films Gol Maal and Khubsoorat. She was a favourite of the Art Cinema in India where she played powerful roles in films like Koshish, Umrao Jaan, Mirch Masala and Mohan Joshi Hazir Ho!.[7]
Her notable Gujarati films were Moti Ba, Malela Jeev, and Bhavni Bhavai while her well-known plays include Dinglegar, Doll's House, Vijan Sheni and Girish Karnad's Hayavadana, directed by Satyadev Dubey.
Early lifeEdit
Dina Pathak was born in Amreli – Gujarat on 4 March 1922. She was enamoured by fashion and films, and while a teenager started acting in plays and won rave reviews from critics.[5]
At a young age, she joined the Indian National Theatre as an actress. She attended college in Bombay (Mumbai), and became known for her student activism, where Bhavai theatre, a folk theatre form from Gujarat, was used extensively to create awareness about British rule, in the Pre-independence era; this led to her close association with Indian People's Theatre Association (IPTA),[8] along with her elder sister Shanta Gandhi and younger sister Tarla Mehta; while in Mumbai, she had an important hand in reviving the Gujarati theatre there, along with fellow Gujarati actors like Kailash Pandya and Damini Mehta.[9]
CareerEdit
She created quite a stir with her plays in Gujarat in the 1940s. The audience queued up to watch her play the lead in Maina Gurjari, which is still one of the most popular Bhavai's along with sister Shanta Gandhi's Jasma Odhan.[6] In 1957, when she performed Mena Gurjari in front then President, Dr. Rajendra Prasad at the Rashtrapati Bhawan in Delhi, it became the first and the only Gujarati play to have achieved the feat so far.[10]
Although she made her film debut with a Gujarati film, Kariyawar (1948), she retreated back into theatre after acting just one film, only to return nearly two decades later. Meanwhile, she continued playing to packed audience in plays by Indian People's Theatre Association (IPTA) and Shanti Bardhan's Ballet troupe.[11] Later she formed her own theatre group in Ahmedabad called 'Natmandal',[12] even today, she is remembered as a stalwart performer and a theatre activist at IPTA.[13]
At age 44, she made a comeback into films, with Basu Bhattacharya's Uski Kahani (1966), for which she won the Bengal Journalists Association Award. She made four films in the 1960s, including Hrishikesh Mukherjee's classic Satyakam (1969), Saat Hindustani (1969), starring Amitabh Bachchan in his debut role and the Merchant Ivory Productions, The Guru (1969). By the times 1970s, she had become a favourite of art and commercial films alike, playing powerful motherly and grandmotherly roles. It was in these films that she became recognised as the Grand-Old-Mother of Hindi films.[citation needed]
Films that stand out in this era are Gulzar's Mausam (1975), Kinara (1977), and Kitaab (1977), and sweet comedies like Basu Chatterjee's Chitchor (1976), Gharaonda (1977), and also in an art cinema classic, Shyam Benegal's Bhumika (1977), which saw her standing tall alongside another acting legend, Smita Patil, in career best performance.
Just as the 1970s ended, she was seen in the comedy classic, Hrishikesh Mukherjee's Gol Maal (1979), where she essayed the role of Kamala Shrivastava, a middle-aged woman who sportingly plays mother to Amol Palekar, who went on to direct her in his 1985 film, Ankahee. The next decade began with another career best, as a stern disciplinarian matriarch in Hrishikesh Mukherjee's Khoobsurat in (1980), closely followed by Bhavni Bhavai (1980). In 1980, she was also awarded the Sangeet Natak Akademi Award. During the 80s she also appeared on the popular TV series, Malgudi Days. In 1984, she appeared in A Passage to India. Though she had far from given career best she gave another powerful performance in Ketan Mehta's Mirch Masala (1985), Govind Nihalani's Tamas (1986) and once again she worked with Gulzar in Ijaazat (1987).[14]
Perhaps her career best came in another comedy, when in 2002 she appeared in Deepa Mehta's Bollywood/Hollywood for which she was nominated for Best Performance by an Actress in a Supporting Role at the 23rd Genie Awards.[14][15]
DeathEdit
She completed her last film, Pinjar (2003), but died before its release, due to heart attack, following a prolonged illness,[7] on 11 October 2002 in Bandra, Bombay.[8]
Personal lifeEdit
She married Baldev Pathak and had two daughters, Supriya Pathak (b. 1961) and Ratna Pathak (b. 1957).[7][8]
Selected filmographyEdit
Kariyawar (1948)
Uski Kahani (1966)
Sara Akash (1969)
Satyakam (1969)
The Guru (1969)
Saat Hindustani (1969)
Devi (1970)
Sachaa Jhutha (1970)
Jal Bin Machhli Nritya Bin Bijli (1971)
Koshish (1972)
Avishkaar (1973)
Aap Ki Kasam (1974) – Sunita's mother
Mausam (1975)
Chitchor (1976) – Mrs. P. Choudhry
Kinara (1977)
Anurodh (1977)
Gharaonda (1977)
Dream Girl (1977)
Bhumika (1977)
Kitaab (1977)
Paheli (1977) – Masterji's wife
Badalte Rishtey (1978) – Mrs. Thakur
Do Ladke Dono Kadke (1979)
Meera (1979) – Mrs. Virendev Rathod 'Kunwarbai'
Gol Maal (1979)
Khandaan (1979) – Usha's mother
Khubsoorat (1980)
Bhavni Bhavai (1980)
Thodisi Bewafaii (1980)
Naram Garam (1981)
Umrao Jaan (1981)
Vijeta (1982)
Prem Rog (1982)
Arth (1982)
Prem Tapasya (1983)
Woh Saat Din (1983)
Mohan Joshi Hazir Ho! (1984)
Holi (1984)
A Passage to India (1984)
Ankahee (1985)
Mirch Masala (1985)
Jhoothi (1985)
Ek Pal (1986)
Tamas (1986)
Ek Chadar Maili Si (1986)
Naache Mayuri (1986)
Ijaazat (1987)
Sanam Bewafa (1991)
Saudagar (1991)
Aaina (1993)
Aankhen (1993)
Tarpan (1994)
Eena Meena Deeka (1994)
Sabse Bada Khiladi (1995)
Yaraana (1995)
Pardes (1997)
Badal (old lady)
Raja Ko Rani Se Pyar Ho Gaya (2000)
Lajja (2001)
Tum Bin (2001)
Aashiq (2001)
Devdas (2002)
Bollywood/Hollywood (2002)
Mere Yaar Ki Shaadi Hai (2002)
Pinjar (2003)
Border Hindustan Ka (2003)
AwardsEdit
1977 – Nominated, Filmfare Award for Best Supporting Actress for Mausam
1980 – Nominated, Filmfare Award for Best Supporting Actress for Gol Maal
1981 – Nominated, Filmfare Award for Best Supporting Actress for Khubsoorat
2003 – Nominated, Best Performance by an Actress in a Supporting Role at the 23rd Genie Awards for Bollywood/Hollywood
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